मुख्य बाते:
- वर्षों के गलत खान-पान की आदत से आतों मे गंदगी जमा हो जाती है ।
- एनीमा एक विधि है जिसके द्वारा आतों मे जमी गंदगी को साफ कर सकते है ।
- एनीमा प्रक्रिया के कई बार करने से पेट के कब्ज को कम करने मे राहत मिलती है ।
एनीमा Enema क्या है | What is Enema in hindi ?
एनेमा क्या होता है ?: आज के पोस्ट मे हम आज यही हम जानेंगे । आज के नवीनतम समय मे खान पान असमय और अप्राकृतिक होता है. हमारा रहन सहन भी ऐसा है कि हम अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाते. खाने में हम कुछ भी unhygienic खा लेते है। इन सब चीजों का प्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है, और कब्ज की शुरुआत हो जाती है।
एनीमा Enema की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? Why there is need for Enema ?
अप्राकृतिक खान-पान के कारण कब्ज की समस्या के लक्षण उत्पन्न हो जाते है एनिमा देने की आवश्यकता तभी पड़ती है । मिट्टी की पट्टी के प्रयोग से ढीला हुआ मल पदार्थ पुनः अवशोषित होकर रक्त में न मिल जाए इसलिए एनिमा का प्रयोग करते हैं । एनीमा के बजाय ढील हुआ माल पदार्थ को निकालने के लिए अनेकानेक औषधियों का उपयोग करते हैं पर वह सब समस्या को समाप्त करने के बजाय और बढ़ा देती हैं जबकि एनिमा से इसका प्रभावी उपचार होता है।
एनीमा कैसे करते है । How Enema is Performed ?
आंतों को एनीमा द्वारा स्वच्छ करने का अत्यंत सरलतम उपाय एनीमा है यह कब्ज से ग्रस्त एवं मल पदार्थ से भरी हुई आंतों को साफ करता है । प्रायः 1 लीटर पानी के उपयोग से एनिमा देने उपयोग करते हैं शरीर के तापक्रम से अनुकूल पानी का तापक्रम सामान्यतया होना चाहिए। 1 लीटर पानी निचली आंतों की सक्रियता को बढ़ाने के लिए पर्याप्त होता है। इस पानी को शरीर में गुरुत्वाकर्षण विधि द्वारा धीरे-धीरे प्रवेश कराना चाहिए।
एनीमा मे कौन सा उपकरण इस्तेमाल होता है ? What type of Equipments are used in the Enema in hindi ?
एनीमा मे इस्तेमाल होने वाले उपकरण
- Pack contains 1 Anema Pot 1500ml,
- 1.5 meter long Silicon tube,
- 1 Pinch clamp,
- 2 Nozzles,
एनीमा से संबंधित उपकरण और मूल्य की जानकारी यहा से मिल सकती है ।
एनीमा करने की क्या विधि है । What are the types of Enema in hindi ?
सर्वप्रथम एनीमा पात्र की रबड़ की नली से वायु को निकालना उचित रहेगा । इसके लिए पात्र में पानी भरकर स्टॉपर खोलकर थोड़ा पानी निकाल देना चाहिए ताकि रबड़ की नली के अंदर की वायु निकल जाए । पानी का प्रवाह आतों तक पहुचाने के लिए एनिमा पात्र को 3 से 4 फुट की ऊंचाई पर रखना चाहिए। गुदाद्वार में लगाने से पूर्व कैथेटर के सिर पर नारियल का तेल लगा देना उचित रहेगा।
1 लीटर या उससे ज्यादा की पानी की क्षमता का एनिमा पात्र एक डिब्बा होता है । इस के निचले भाग से रबड़ की एक 25 इंच की लंबी नली जुड़ी रहती है । रबड़ की नली के दूसरे छोर पर नोजल होता है जिसके अग्रभाग पर कैथेटर लगाकर प्रयोग में लाया जाता है रोगी को उपयुक्त अवस्था में लिटा कर कैथेटर को गुदाद्वार में प्रवेश कराते हैं स्टॉपर खोलकर पानी को धीरे धीरे अंदर जाने देते हैं।
आंतों में पानी पहुंच जाने के बाद रोगी को दाएं बाएं करवट लेकर 5 मिनट तक पानी को रोककर रखना है। इस दौरान पेट पर हल्की मालिश की जा सकती है इसके बाद शौच के लिए जाना चाहिए। मल त्याग के समय हाथों पर अधिक जोर नहीं देना चाहिए । पानी को स्वाभाविक रूप से ही निकलने देना चाहिए।
एनीमा लेते समय क्या सावधानिया लेनी चाहिए ? What are the precautions to be taken with Enema in hindi ?
जैसा की हम यह जन गए की एनीमा के द्वारा पानी को आतों तक पहुचाया जाता है । इसलिए यह जरूरी है की एनीमा के इस्तेमाल किया जाने वाला पानी और पात्र पूर्ण रूप से स्वच्छ हो । पात्र को एनीमा लेने से पूर्व अच्छी प्रकार से साफ करना जाहिए जिससे वह स्वच्छ एवं कीटाणु रहित हो जाए । सामान्यतः पात्र को साफ करने के लिए नीम के पत्तियों को उबाल कर उसके पानी से साफ करना उचित रहेगा ।
एनीमा लेने की स्थितिया कौन कौन सी है ? What are the positions for taking Enema in hindi ?
अब हम जानते है एनीमा करने के क्या तरीके है ? What are the methods of Enema in Hindi?
एनीमा लेने की पहली विधि : वैसे तो एनीमा लेटकर लिया जा सकता है । परंतु इसके अलावा भी और भी स्थितियों मे ले सकते है जैसे की सबसे प्रभावी एवं उपयोगी जानू शिरा स्थिति या नी चेस्ट पोजीशन है।
एनीमा लेने की दूसरी विधि : अगर एनीमा जमीन पर लेना है ऐसी स्थिति मे रोगी अपने घुटनों पर खड़ा होता है और अपने दोनों कोहनियों और छाती को जमीन पर स्पर्श करते है । पानी को आंतों तक पहुचाने के लिए गुरुत्व बल का उपयोग करने के लिए कमर को ऊपर उठाया जाता है । इस स्थिति में पानी बड़ी आग के सभी भागों से सुगमता से पहुंच जाता है।
एनीमा लेने की पहली विधि : इस विधि मे एनीमा पीठ के बल लेटकर लिया जा सकता है ऐसी स्थिति में कमर का हिस्सा कुछ उठा हुआ होना चाहिए तथा पैरों को जांघों से लगाए हुए रखना चाहिए। यदि रोगी अधिक दुर्बल है तथा जानू शिरा स्थिति में नहीं आ सकता है तो उसे उसी स्थिति में एनिमा दिया जा सकता है।
एनीमा लेने की चौथी विधि : इस विधि मे रोगी को बाई करवट मिटा देते हैं शरीर को सीधा रखते हैं परंतु दाहिने पर को थोड़ा मोड़ते हुए बाएं पैर पर ले आते हैं।
एनीमा का पानी कैसा होना चाहिए ? What type of water to be taken in Enema ?
एनीमा का पानी गुनगुना होना चाहिए आवश्यकतानुसार नींबू का रस मिश्रित पानी अथवा नीम की पत्तियों का उबला हुआ पानी भी प्रयोग में लाया जा सकता है किंतु साबुन के पानी का एनिमा कभी नहीं लेना चाहिए।
क्या ठंडे पानी से एनीमा ले सकते है ? Is Enema can be taken with cold water ?
कभी-कभी ठंडे पानी का एनिमा देने की भी आवश्यकता पड़ती है इसे टानिक एनिमा कहते हैं इसमें 200 से 300 ग्राम ठंडे पानी को उपयुक्त विधि से हाथों में पहुंचा देते हैं। इसे 10 से 15 मिनट तक शरीर में रोके रखने के पश्चात सोच के लिए जाना चाहिए इससे आंतों को बल मिलता है तथा रेक्टम की तंत्रिकाए एवं मांस पेशियां उत्तेजित होती है। एनिमा का प्रयोग तीव्र रोगों में उपवास में तथा जीण कब्ज की चिकित्सा के दौरान उपचार के प्रारंभ में किया जाता है।
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